Sabar Ka Phal Meetha Hota hai | Baccho Ki Kahaniya

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Sabar Ka Phal Meetha Hota hai

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मेहनत का फल पर छोटी कहानी ये कहाँ उन लोगो के लिया उपयुक्त हो सकती है। जो लोग अच्छी शिक्षा के साथ अच्छी सस्कार में बच्चे की भबिस्य खोजते है उन लोगो के लिए आपने बच्चा को रीड करके सुना सकते वा खुद बच्चोको पढ़ा सकते है। परिश्रम का फल छोटी कहानी आपके बच्चो के लिया अच्छी पाठ देने की किसिस है।
sabar ka phal meetha hota hai य सभी को मालुम है सरल सब्दो में एक कहानी बनाके बच्चोको आसानी से समझा सकते है। छोटे बच्चों की मजेदार कहानियां हर बच्चोके जोबन में अच्छी भूमिका निभाती है

mehnat ka phal meetha hota hai

 

बच्चों की कहानी-मेहनत का फल मीठा होता है

एक मूर्तिकार एक गाँव मे रहता था वह गरीब था। गरीब होते हुए भी बहुद मेहनत करता था और उसने हर दिन मेहनत की और कई मूर्तियाँ बनाईं। लेकिन उनकी कला को किसी ने नहीं समझा और तिरस्कार करके हंस पड़े। उसने जो मूर्तियाँ बनाईं वे बहुदअच्छी थीं, लेकिन लोगों ने उसे अच्छी कीमत नहीं दी क्योंकि वह गरीब था। वह बेचारा मूर्तिकार पैसा वाले लोग के सामने क्या कर सकता था? मूर्तियों को कम कीमत पर बेचने के लिए मजबूर किया गया था।

मूर्तिकार के परिवार में छह लोगों थे। उसके परिवार के पास उसके परिवार को सहयोग करने के लिए और दुसरा आदमी नहीं था परिवार में। सभी बच्चे छोटे और माँ बा बूढ़े थे। लेकिन समाज में किसी ने भी उसकी दुर्दशा को नहीं समझा। उन्होंने मूर्तिकार को और भी अधिक अपमानित किया और मूर्ति को कम कीमत पर खरीद करने का बहुद प्रयास किया। बहुद से मुर्तिया उन लोगो ने कुछ रकम में ख़रीदा।  उस रकम में मूर्तिकार खुस नहीं था।

मूर्तिकार के पास दुसरा बिकल्प नहीं था। उसको उन मूर्ति बेच कर घर परिवार के लिया खाने का सामन खरीदना है।  आज तो उसका माँ बीमार है माँ के लिया कुछ औसाधिया ख़रीदन था। लेकिन उन लोगो ने कभी मूर्तिकार के समस्या पर कोही किसी ने कुछ मतलब नहीं दिखाया।  उन लोगो ने अच्छी अच्छी मुर्तिया थोड़ा रकम में खरीदना चाहहते थे। 

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मूर्तिकार ने कभी हार नहीं मानी। वह और अधिक मेहनत करने लगा। कितनी भी असफलताएं क्यों न मिलीं, उन्होंने हार नहीं मानी। उसने आज भी बनाया कल भी बनाया हर दिन बनाते बनाते मूर्तिकार ने और अधिक सुंदर मूर्तियाँ बनाईं।

एक दिन की बात है, उन्होंने बुद्ध की एक अच्छी मूर्ति बनाने के लिए कड़ी मेहनत की। इसे तैयार करने में उन्हें महीनों लग गए। इस बार मूर्ति खरीदने के लिए काफी संख्या में लोग पहुंचे। वह मूर्ति में अपनी मेहनत के कारण उसे बेचना नहीं चाहता था और उसने मूर्ति खरीदने आने वाले सभी लोगों से कहा कि वह मेरे श्रम किसी भी कीमत पर नहीं बेचना चाहता।

उसका अवस्था इतना दयनीय है कि वह अपने परिवार का भोंक मेटाने के लिए भी मूर्ति को बेचना होंगा. मूर्ति बेचने से इंकार कर दिया क्यों की उस मूर्ति में बहुद मेहनत किया था और लोग सस्ता मूल्य में खरीदना चाहतेथे। 

उसी समय एक व्यापारी उसी रास्ते से कहीं जा रहा था। अचानक उसकी नजर मूर्ति पर पड़ी। वह सोचने लगा कि इतनी सुंदर मूर्ति कौन बना सकता है? कौन बनाया होगा ?। उसने चारों तरफ देखा और मूर्तिकार को अपना चेहरा नीचे करके बैठा देखा। उसने उस मूर्तिकार से पूछा कि वह इतना परेशान क्यों है।

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मूर्तिकार ने आपनी सभी बाते बताने के बाद । तब व्यापारी ने मूर्तिकार की कीमत पर मूर्ति खरीदने का वादा किया। वह अपनी मूर्ति को मनचाहे दाम पर बेचकर बहुत खुश हुआ। अगले दिन, व्यापारी ने जितना आवश्यक हो उतना पैसा दिया और मूर्ति को ले गया।

व्यापारी का एक मित्र मंत्री था। मंत्री जब उनके घर आए तो उन्होंने मूर्ति देखी और उन्हें बहुत पसंद आई। उसने कहा, “ये मूर्ति मेरेको चाहिए, और जितना मूल्य मे खरीद था, उसका दुगुना मैं तुझे दूंगा।” व्यापारी दोस्त का बात नहीं काट सका। उसने मूर्ति अपने एक मित्र को दे दी।

मंत्री की एक बेटी थी। वह जवान थी। उसकी शादी का समय हो गया था और मंत्री ने उसकी शादी की तैयारी करदी, उन्होंने इस शादी में अपने सभी दोस्तों को इनवाइट किया था।

वह उस देश का राजा भी था। राजा की नजर मूर्ति पर पड़ी। उन्होंने पूछा कि इतनी सुंदर मूर्ति किसने बनाई। जब मंत्री को पता चला कि इस मूर्ति को एक गरीब मूर्तिकार ने बनाया है, तो उन्होंने मूर्तिकार को महल में बुलाया।

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खबर सुनते ही मूर्तिकार महल तरफ दौड़ पड़ा। राजा ने उससे पूछा कि वह इतनी सुंदर मूर्ति कैसे बना सकती है? कैसे बनाय ?। उन्होंने जवाब दिया कि यह मूर्ति कड़ी मेहनत से बनाया गया है। राजा उसकी मेहनत और समर्पण से प्रसन्न था। राजा ने उसे अनेक धन और पुरस्कार देकर विदा किया। मूर्तिकार आज गांव के धनी और गरीब दुखी को सहयोग करके घर पर आराम से बैठा है. उसका माँ भी आज बीमार से बाहर निकल चुकी है। मूर्तिकार को देखकर गांव वाले बहुत परेशान होते हैं गरीब और दुखी मूर्तिकार कैसे ऐसे धानी बन सकता है गांव मे ये प्रश्न सभी को मन मे है.

“कला को कला प्रेमी ही पहचानते हैं। मेहनत का फल हमेशा मीठा होता है”

आपने छोटे बच्चों की कहानियां जरूर पडलोया होगा, बच्चों की Kahaniya आपको कैसे लाग जरूर कमेंट करना। और Baccho Ki Kahaniya, Hindi Stories For Kids पढ़ने के लिया निचे देख सकते हो।

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